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Sunday, 25 April 2021

बंधन

शब्दों
के सफर से
लम्हों 
की मंजिल तक

चलते 
चला गया मैं
ढलते 
ढल गया मैं

चन्द लम्हों
की यादों से
ढ़ेर सारी बातों से 
बंधता चला गया मैं

जीतता गया मैं
हारता गया मैं
कभी खुद से
तो कभी मंजिल से

ये सफर था 
मंजिल मान बैठा मैं
ये जीवन था 
बंधन मान बैठा मैं ।

Monday, 7 December 2020

दोस्त

जो राही है
मंजिल नहीं
जो मुसाफ़िर है
हमसफ़र नहीं

काबिल हैं
कामयाब नहीं
पूरक हैं
पूर्ण नहीं

आकांक्षी है
महत्त्वाकांक्षी नहीं
राही हैं
मंजिल की ओर

मंजिल से पहले
सफर के अंत तक
मंजिल के सफर में
खुद को हिस्सा बना जाते हैं ।

दोस्त

जो राही है
मंजिल नहीं
जो मुसाफ़िर है
हमसफ़र नहीं

काबिल हैं
कामयाब नहीं
पूरक हैं
पूर्ण नहीं

आकांक्षी है
महत्त्वाकांक्षी नहीं
राही हैं
मंजिल की ओर

मंजिल से पहले
सफर के अंत तक
मंजिल के सफर में
खुद को हिस्सा बना जाते हैं ।

Sunday, 10 May 2020

माँ

हमारी शुरुआत 
या होने की वजह 
उसके अंश 
या वंश 

उसके होने का 
प्रमाण है, हम 
उसकी ममता का 
अभिमान है, हम

उसके सृजन से
हमारे सृजन तक
वंश से 
वंश तक

ये जो सफर है 
इसे पूरा करती
वो जन्मदाता 
माँ है 

इस सफर के लिए 
खुद को कुर्बान करने वाली 
सिर्फ एक माँ है ।
इस सफर का हिस्सा एक ओर भी है 


वो किसी ओर दिन  ।

माँ

हमारी शुरुआत 
या होने की वजह 
उसके अंश 
या वंश 

उसके होने का 
प्रमाण है, हम 
उसकी ममता का 
अभिमान है, हम

उसके सृजन से
हमारे सृजन तक
वंश से 
वंश तक

ये जो सफर है 
इसे पूरा करती
वो जन्मदाता 
माँ है 

इस सफर के लिए 
खुद को कुर्बान करने वाली 
सिर्फ एक माँ है ।
इस सफर का हिस्सा एक ओर भी है 


वो किसी ओर दिन  ।

Thursday, 27 February 2020

किस्सा

जो सुना कभी 
किस्सा,
जो था, कभी
किसी का हिस्सा 

मैं  हूँ  यहीं  से 
मैं था यहीं  से 
सपना था , मेरा भी
किस्सा हो मेरा भी 

अब, मैं  भी  हूँ  हिस्सा 
उसका,  जो  सुना था कभी  किस्सा 
पर कुछ और भी था उस किस्से का हिस्सा 
और,  बस किस्से  का  वो  हिस्सा 

मैं  था  यहीं  से 
शायद, मैं  हूँ , यहीं से 
और वो किस्से  का  हिस्सा 
शायद , मेरा भी किस्सा 

हाँ , मैं हूँ  यहीं से 
जो  किस्सा है मेरा 
जो हिस्सा है  मेरा 
वो है,  सिर्फ  मेरा 

जो किस्सा होगा  मेरा 
जो हिस्सा  होगा,  जीवन का मेरा 
मैं  चाहूँगा
कोई  ओर  भी  इसे  चाहे  ।


किस्सा

जो सुना कभी 
किस्सा,
जो था, कभी
किसी का हिस्सा 

मैं  हूँ  यहीं  से 
मैं था यहीं  से 
सपना था , मेरा भी
किस्सा हो मेरा भी 

अब, मैं  भी  हूँ  हिस्सा 
उसका,  जो  सुना था कभी  किस्सा 
पर कुछ और भी था उस किस्से का हिस्सा 
और,  बस किस्से  का  वो  हिस्सा 

मैं  था  यहीं  से 
शायद, मैं  हूँ , यहीं से 
और वो किस्से  का  हिस्सा 
शायद , मेरा भी किस्सा 

हाँ , मैं हूँ  यहीं से 
जो  किस्सा है मेरा 
जो हिस्सा है  मेरा 
वो है,  सिर्फ  मेरा 

जो किस्सा होगा  मेरा 
जो हिस्सा  होगा,  जीवन का मेरा 
मैं  चाहूँगा
कोई  ओर  भी  इसे  चाहे  ।