हम फिर मिलेंगे
हम फिर गलें लगेंगे
मुस्कराते हुए
गुनगुनाते हुए
एक बार फिर
हम अनजान होंगे
जब देखेंगे , हम फिर
मुस्कुराएँगें
हम जिएँगे
यादों के अहसास के सहारे नहीं
बस, तुमसे फिर मिलेंगे
कौशिश से नहीं
ऐसा कुछ हुआ
ये विडंबना नही है
एक अहसास हुआ
इसलिए हम मिले
मेरी कौशिश थी
मेरी ही तक़दीर
शायद कोई बात भी थी
दूरी , बस एक लकीर
मुस्कुराएँगें
आंखो की नमी के साथ
शांत चित्त के साथ
जब हम फिर मिलेंगे ।