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Sunday 25 December 2016

खामोशी

ख़ुशी का इजहार करती
गमो को समेटे रखती
कभी कारण बनती
तो कभी बनाती

अक्सर यूही अपना मूल्य जताती
कभी हथियार बनती
तो कभी ढाल को मज़बूत बनाती
और कभी रखने का इंतेहान लेती

खुद के बजाए साथी को मज़बूत बनाती
साथी से ही अपनी पहचान बताती
क्योंकि सब साथी के नाम कर देती
फिर भी अक्सर बुरा कहलाती

अपने साथ का वादा करती
और सब्र की परीक्षा लेती
अपना मूल्य जताती
साथी की पहचान बनाती ।

खामोशी

ख़ुशी का इजहार करती
गमो को समेटे रखती
कभी कारण बनती
तो कभी बनाती

अक्सर यूही अपना मूल्य जताती
कभी हथियार बनती
तो कभी ढाल को मज़बूत बनाती
और कभी रखने का इंतेहान लेती

खुद के बजाए साथी को मज़बूत बनाती
साथी से ही अपनी पहचान बताती
क्योंकि सब साथी के नाम कर देती
फिर भी अक्सर बुरा कहलाती

अपने साथ का वादा करती
और सब्र की परीक्षा लेती
अपना मूल्य जताती
साथी की पहचान बनाती ।

Tuesday 20 December 2016

परवाह

मुझे परवाह हैं
मेरे पागलपन की
और उसके साथ की
जो मुझे रखता ज़िंदा  हैं

मेरी परवाह ज़िंदा हैं
क्योंकि बेपरवाही के किसी कोने में
जीवन के सार में
मेरी ज़िंदगी ज़िंदा हैं

मेरी ज़िंदगी ज़िंदा हैं
क्योंकि किसी के भावों में
और मेरे भावनाओं  के सागर में
एक रिश्ता ज़िंदा हैं

मेरा पागलपन ज़िंदा हैं
क्योंकि किसी की
परवाह ज़िंदा हैं ।
जो वजह हैं , मेरे ज़िंदा होने की ।

परवाह

मुझे परवाह हैं
मेरे पागलपन की
और उसके साथ की
जो मुझे रखता ज़िंदा  हैं

मेरी परवाह ज़िंदा हैं
क्योंकि बेपरवाही के किसी कोने में
जीवन के सार में
मेरी ज़िंदगी ज़िंदा हैं

मेरी ज़िंदगी ज़िंदा हैं
क्योंकि किसी के भावों में
और मेरे भावनाओं  के सागर में
एक रिश्ता ज़िंदा हैं

मेरा पागलपन ज़िंदा हैं
क्योंकि किसी की
परवाह ज़िंदा हैं ।
जो वजह हैं , मेरे ज़िंदा होने की ।

Friday 16 December 2016

बड़त (Growth)

एक दूरी रह गई
एक फासला बन गया
वो लगन गई
क्योंकि ढलते दिन के साथ , मैं ढल गया

ये सच हैं
जो मुझसे हैं
ये चाह नहीं हैं मेरी
पर इससे विपरीत कौशिश भी नहीं मेरी

वो पल मुझे गवाँने नहीं हैं
वो बाते किसी को बतानी नहीं हैं
ये कहानी मुझे पूरी नहीं करनी हैं
मुझे आज भी तेरे साथ जीना हैं

मुझे कोई फल नहीं चाहिए
मुझे कोई अर्थ नहीं चाहिए
मुझे किसी के भाव नहीं चाहिए
मैं तेरा हूँ ,बस यहीं अंत चाहिए

मैं एक माध्यम ज़रूर हूँ
मैं एक कर्ता ज़रूर हूँ
मैं कर्म का कारण ज़रूर हूँ
पर मैं सिर्फ़ तुझ से हूँ

कुछ समेटे हुए पल हैं , मेरे
कुछ बातें हैं हमारी
कुछ यादें हैं हमारी
जो अब मुस्कान हैं मेरी

मुझे गर्व हैं मुझपें
मैंने उसे चुना
आज कुछ हैं मुझमें
क्योंकि उसने मुझे बुना ।

बड़त (Growth)

एक दूरी रह गई
एक फासला बन गया
वो लगन गई
क्योंकि ढलते दिन के साथ , मैं ढल गया

ये सच हैं
जो मुझसे हैं
ये चाह नहीं हैं मेरी
पर इससे विपरीत कौशिश भी नहीं मेरी

वो पल मुझे गवाँने नहीं हैं
वो बाते किसी को बतानी नहीं हैं
ये कहानी मुझे पूरी नहीं करनी हैं
मुझे आज भी तेरे साथ जीना हैं

मुझे कोई फल नहीं चाहिए
मुझे कोई अर्थ नहीं चाहिए
मुझे किसी के भाव नहीं चाहिए
मैं तेरा हूँ ,बस यहीं अंत चाहिए

मैं एक माध्यम ज़रूर हूँ
मैं एक कर्ता ज़रूर हूँ
मैं कर्म का कारण ज़रूर हूँ
पर मैं सिर्फ़ तुझ से हूँ

कुछ समेटे हुए पल हैं , मेरे
कुछ बातें हैं हमारी
कुछ यादें हैं हमारी
जो अब मुस्कान हैं मेरी

मुझे गर्व हैं मुझपें
मैंने उसे चुना
आज कुछ हैं मुझमें
क्योंकि उसने मुझे बुना ।

Saturday 10 December 2016

विधाता

कह दूँ
मुझे विश्वास हैं
हाँ हैं
या लौटा दूँ

जहाँ तक मैने जाना
और जितना पाया
जितना किया
और जितना हैं करना

इसे कहो विश्वास
या अहसास
हाँ ये हैं
ये वहीं हैं , विधाता

एक दिन डूबना हैं
अन्नत संघनता लेकर
या शून्य बनकर
ये सच्चाई हैं ।

विधाता

कह दूँ
मुझे विश्वास हैं
हाँ हैं
या लौटा दूँ

जहाँ तक मैने जाना
और जितना पाया
जितना किया
और जितना हैं करना

इसे कहो विश्वास
या अहसास
हाँ ये हैं
ये वहीं हैं , विधाता

एक दिन डूबना हैं
अन्नत संघनता लेकर
या शून्य बनकर
ये सच्चाई हैं ।

Tuesday 6 December 2016

उम्मीद (hope)

एक विचार
एक धारा
जो प्रवाहमयी हैं
जो संजीवनी हैं

ये परिचय हैं
हमारे विचारों का
ये वो सहष्णुता हैं
जो हमारे व्यवहार में हैं

ये  वो रहस्य हैं
जो हमारी ज़िंदगी में हैं
ये हमारे लिये हैं
पर पहले हमसे हैं

इसका निर्माण
पालन पोषण
जिदंगी हैं
जिस से हम हैं

उम्मीद (hope)

एक विचार
एक धारा
जो प्रवाहमयी हैं
जो संजीवनी हैं

ये परिचय हैं
हमारे विचारों का
ये वो सहष्णुता हैं
जो हमारे व्यवहार में हैं

ये  वो रहस्य हैं
जो हमारी ज़िंदगी में हैं
ये हमारे लिये हैं
पर पहले हमसे हैं

इसका निर्माण
पालन पोषण
जिदंगी हैं
जिस से हम हैं