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Saturday 10 December 2016

विधाता

कह दूँ
मुझे विश्वास हैं
हाँ हैं
या लौटा दूँ

जहाँ तक मैने जाना
और जितना पाया
जितना किया
और जितना हैं करना

इसे कहो विश्वास
या अहसास
हाँ ये हैं
ये वहीं हैं , विधाता

एक दिन डूबना हैं
अन्नत संघनता लेकर
या शून्य बनकर
ये सच्चाई हैं ।

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