कुछ सुन रहा था
लगा कुछ खनक रहा था
पर विश्वास था
कि आड़े आ रहा था
जुनून था
कि शोर मचा रहा था
आँखे देख नहीं पा रही थी
कि धुंध हटने का नाम नहीं ले रही थी
इन्हीं सब के बीच थी
मेरी ज़िंदगी , जो मुझ से कुछ कह रही थी
Who can teach us ?
There is not a single scale which can tells that , this is right or this is wrong even not a single person
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