तुम ही तो कहते थे
तुम ही अहसास कराते थे
हम दोनो साथ है
एक ही आवाज़ है
शपथ कुछ ऐसी थी
जो दुनिया से परे थी
क्योंकि वो हम दोनो की बात थी
वो कुछ ऐसी थी
होने का प्रमाण देकर , जब बात आगे बढ़ती थी
तो कुछ अहसास कराती थी
ज़िंदा थी
ज़िंदगी क्योंकि यही हमारे साथ थी
वो सुनती थी
पर सुनाई नहीं देती थी
क्योंकि वो अहसास कराती थी
एक समय ऐसा था
जब सबको अहसास कराती थी
पर आज चुपचाप हमारे साथ थी
क्योंकि आज उसकी आवाज़ उसके साथ नहीं थी
वो दुनिया से ओझल हो चुकी थी
पर अब भी हमारी आँखों मे थी
उसकी बात कुछ ऐसी थी
जो बिन मुस्कुराए , ख़ुशी का अहसास कराती थी
जो न होकर भी मनु का अस्तित्व थी
कुछ ऐसा ही होता था
रोज़ , जब वो मुझे बताता था
ये मेरा मन ही था
जो उसके होने का अहसास कराता था ।