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Saturday 7 October 2017

गुरु

मैंने सीखा हैं
मैंने पतवार पकड़नी सीखी हैं
मैंने धारा देनी सीखी हैं
मैंने सीखा हैं तुझसे
मैंने पतवार चलानी सीखी हैं

मैंने जाना हैं
मैंने नदियों का रुख जाना हैं
मैंने बहना जाना हैं
मैंने जाना हैं तुझसे
मैंने नदियों के रुख का बहना जाना हैं

मैंने सीखा हैं
मैंने नाव चलाना सीखा हैं
मैंने नदियों के संग बहना सीखा हैं
मैंने सीखा हैं तुझसे
मैंने रुख बदलना सीखा हैं

मैंने जाना हैं
मैंने नाव और पतवार के साथ को जाना हैं
मैंने उनकी दोस्ती को जाना हैं
मैंने जाना हैं तुझसे
उनका आदर करना जाना हैं

मैंने सीखा हैं
मैंने डटे रहना सीखा हैं
मैंने मझधार के संग बहना सीखा हैं
मैंने सीखा हैं तुझसे
मैंने मझधार से लड़ना भी सीखा हैं ।

गुरु

मैंने सीखा हैं
मैंने पतवार पकड़नी सीखी हैं
मैंने धारा देनी सीखी हैं
मैंने सीखा हैं तुझसे
मैंने पतवार चलानी सीखी हैं

मैंने जाना हैं
मैंने नदियों का रुख जाना हैं
मैंने बहना जाना हैं
मैंने जाना हैं तुझसे
मैंने नदियों के रुख का बहना जाना हैं

मैंने सीखा हैं
मैंने नाव चलाना सीखा हैं
मैंने नदियों के संग बहना सीखा हैं
मैंने सीखा हैं तुझसे
मैंने रुख बदलना सीखा हैं

मैंने जाना हैं
मैंने नाव और पतवार के साथ को जाना हैं
मैंने उनकी दोस्ती को जाना हैं
मैंने जाना हैं तुझसे
उनका आदर करना जाना हैं

मैंने सीखा हैं
मैंने डटे रहना सीखा हैं
मैंने मझधार के संग बहना सीखा हैं
मैंने सीखा हैं तुझसे
मैंने मझधार से लड़ना भी सीखा हैं ।

Tuesday 3 October 2017

ख्वाहिश

तू रहे
बस
साथ रहे
जरूरी नहीं

मेरी चाहत
तुझ से हैं
मेरी राहत
तेरी सांसे हैं

तेरी बाते
मेरी यादें  हैं
तेरी यादें
मेरी खुशी हैं

तेरे संग रहना नहीं
तेरे संग जीना, मेरी ख्वाहिश हैं
मेरी ख्वाहिश
तेरी हैं ।

ख्वाहिश

तू रहे
बस
साथ रहे
जरूरी नहीं

मेरी चाहत
तुझ से हैं
मेरी राहत
तेरी सांसे हैं

तेरी बाते
मेरी यादें  हैं
तेरी यादें
मेरी खुशी हैं

तेरे संग रहना नहीं
तेरे संग जीना, मेरी ख्वाहिश हैं
मेरी ख्वाहिश
तेरी हैं ।

Saturday 16 September 2017

कोड़ी

एक रिश्ता
अलग सा
अपना सा
सच्चा

पाबंदियो से दुर
वक्त से परे
सच्चाई के साथ
मेरे साथ

अहसास
दिव्य
लगाव
अटूट

कुछ वक्त की कड़ीया
उसके साथ
मेरे पास
मेरी कोड़ीया ।

कोड़ी

एक रिश्ता
अलग सा
अपना सा
सच्चा

पाबंदियो से दुर
वक्त से परे
सच्चाई के साथ
मेरे साथ

अहसास
दिव्य
लगाव
अटूट

कुछ वक्त की कड़ीया
उसके साथ
मेरे पास
मेरी कोड़ीया ।

Wednesday 26 July 2017

साथ

सब के बीच
खुद के साथ
मेरे बीचोंबीच
मेरे साथ

एक अहसास
सब से अलग
मुझसे
मेरे साथ

भूलूँ
सबका साथ
ढुढूँ
तेरा साथ

कौशिश
या नया अहसास
सब
तेरे साथ

साथ

सब के बीच
खुद के साथ
मेरे बीचोंबीच
मेरे साथ

एक अहसास
सब से अलग
मुझसे
मेरे साथ

भूलूँ
सबका साथ
ढुढूँ
तेरा साथ

कौशिश
या नया अहसास
सब
तेरे साथ

Sunday 16 July 2017

साथ

हम साथ थे
दुनिया से परे थे
हमारी बाते कुछ ओर थी
हमारी दोस्ती कुछ ओर थी

हम मिलते थे
बेवजह
हम बतयाते  थे
खामोश

हम दोस्त थे
जरूरत नही
हम साथी थे
कारण नही

हम थे
क्योंकि उत्सुकता थी
हम मिलते थे
क्योंकि खुद को ढुंढते थे

आज मैं नही हूँ
पर दोस्ती आज भी हैं
आज वो बाते नही हैं
पर यादें आज भी हैं

हम साथ हैं ......

साथ

हम साथ थे
दुनिया से परे थे
हमारी बाते कुछ ओर थी
हमारी दोस्ती कुछ ओर थी

हम मिलते थे
बेवजह
हम बतयाते  थे
खामोश

हम दोस्त थे
जरूरत नही
हम साथी थे
कारण नही

हम थे
क्योंकि उत्सुकता थी
हम मिलते थे
क्योंकि खुद को ढुंढते थे

आज मैं नही हूँ
पर दोस्ती आज भी हैं
आज वो बाते नही हैं
पर यादें आज भी हैं

हम साथ हैं ......

Saturday 22 April 2017

लगाम

जीवित जग
जीवन
जीने का ढंग
ज़िंदगी

ढंग
आज पहचान बेढंगी
आज ये होता
यादें होती

ये जुड़ी होती
बस यही ज़िंदगी होती
पर अहसास भविष्य मे नहीं होता
ये सिर्फ़ आज से वास्ता रखता

मन आसमान छूता
आत्मा सयंम रखती
इंद्रियाँ परमात्मा का अहसास कराती
ब्रह्मांड शून्य होता

तब , शायद लमाम होती
आज़ादी की ज़रूरत नहीं
हमारी सोच आज़ाद होती
ज़िंदगी हमारे साथ होती ।

लगाम

जीवित जग
जीवन
जीने का ढंग
ज़िंदगी

ढंग
आज पहचान बेढंगी
आज ये होता
यादें होती

ये जुड़ी होती
बस यही ज़िंदगी होती
पर अहसास भविष्य मे नहीं होता
ये सिर्फ़ आज से वास्ता रखता

मन आसमान छूता
आत्मा सयंम रखती
इंद्रियाँ परमात्मा का अहसास कराती
ब्रह्मांड शून्य होता

तब , शायद लमाम होती
आज़ादी की ज़रूरत नहीं
हमारी सोच आज़ाद होती
ज़िंदगी हमारे साथ होती ।

Friday 14 April 2017

प्रमाण

तुझ में कुछ हैं
हाँ तुझे लगता हैं
तभी तो तू आज नहीं हैं
क्योंकि तू कल होने का दावा करता हैं

हाँ तुझे होना चाहिए
तो तुझे आज होने का प्रमाण दिखाना चाहिए
ताकि कल तू हो
तो आज तेरा सबूत हो

तू चाहता है तुझे देखे दुनिया सारी
तो पहले देख , कैसी है दुनिया सारी
क्योंकि जब कल तू होगा
तो आज तेरा स्तंभ होगा

तुझे होना चाहिए
हाँ , तभी तेरा विश्वास चाहिए
क्योंकि वाकई , तुझ में कुछ हैं
यही प्रमाण हैं ।

प्रमाण

तुझ में कुछ हैं
हाँ तुझे लगता हैं
तभी तो तू आज नहीं हैं
क्योंकि तू कल होने का दावा करता हैं

हाँ तुझे होना चाहिए
तो तुझे आज होने का प्रमाण दिखाना चाहिए
ताकि कल तू हो
तो आज तेरा सबूत हो

तू चाहता है तुझे देखे दुनिया सारी
तो पहले देख , कैसी है दुनिया सारी
क्योंकि जब कल तू होगा
तो आज तेरा स्तंभ होगा

तुझे होना चाहिए
हाँ , तभी तेरा विश्वास चाहिए
क्योंकि वाकई , तुझ में कुछ हैं
यही प्रमाण हैं ।

Friday 7 April 2017

ज़िंदगी

अहसास है
ज़िंदगी
आवाज़ है
ज़िंदगी
यादों की महफ़िल है
ज़िंदगी
तो कहीं दूर कोने मे छिपी रोशनी है
ज़िंदगी

बुझ जाएगा दिया , इस जीवन का , तब बनेगी इतिहास
ज़िंदगी 
जब मिट जाएगा नाम तेरा ,तब बनेगी वजूद
ज़िंदगी
जब यादें भी हो जाएगी , धुंधली तो बनेगी आदर्श
ज़िंदगी

जब फिर बीज बोया जाएगा जीवन का , तो बनेगी धड़कन
ज़िंदगी ।

                              ***

ज़िंदगी

अहसास है
ज़िंदगी
आवाज़ है
ज़िंदगी
यादों की महफ़िल है
ज़िंदगी
तो कहीं दूर कोने मे छिपी रोशनी है
ज़िंदगी

बुझ जाएगा दिया , इस जीवन का , तब बनेगी इतिहास
ज़िंदगी 
जब मिट जाएगा नाम तेरा ,तब बनेगी वजूद
ज़िंदगी
जब यादें भी हो जाएगी , धुंधली तो बनेगी आदर्श
ज़िंदगी

जब फिर बीज बोया जाएगा जीवन का , तो बनेगी धड़कन
ज़िंदगी ।

                              ***

Saturday 1 April 2017

ख्वाब

क्यों ना
फिर गुनगुनाते हैं
क्यों ना
फिर , खुद को भुलाते हैं

क्यों ना
फिर से यादों को सजाते हैं
क्यों ना
फिर , एक हो जाते हैं

इस बार
सब भूल जाएँगे
इस बार
खुद को नही ढूँढ़गें

इस बार
हम समझेंगे नहीं
इस बार
खुद को तुम में ढाल लेंगे

इस बार
मैं , मैं नहीं
क्यों ना
फिर गले लगते हैं ।

ख्वाब

क्यों ना
फिर गुनगुनाते हैं
क्यों ना
फिर , खुद को भुलाते हैं

क्यों ना
फिर से यादों को सजाते हैं
क्यों ना
फिर , एक हो जाते हैं

इस बार
सब भूल जाएँगे
इस बार
खुद को नही ढूँढ़गें

इस बार
हम समझेंगे नहीं
इस बार
खुद को तुम में ढाल लेंगे

इस बार
मैं , मैं नहीं
क्यों ना
फिर गले लगते हैं ।

Saturday 25 March 2017

मुझसे,मुझ तक

अधूरी बाते
अधूरी यादें
तेरे संग
मेरे रंग

समय से परे
पाबंदीयो से दूर
मिलना चाहता हूँ
तुम से कुछ कहना चाहता हूँ

मुश्किलों के बीच
सपनों को सिच
कुछ करना चाहता हूँ
तुमसे कुछ सुनना चाहता हूँ

तुमसे मिलने की बात
तुझ तक पहुँच जाती है
हर बार , ये बात
मुझे मुझसे मिला जाती है

मुझसे,मुझ तक

अधूरी बाते
अधूरी यादें
तेरे संग
मेरे रंग

समय से परे
पाबंदीयो से दूर
मिलना चाहता हूँ
तुम से कुछ कहना चाहता हूँ

मुश्किलों के बीच
सपनों को सिच
कुछ करना चाहता हूँ
तुमसे कुछ सुनना चाहता हूँ

तुमसे मिलने की बात
तुझ तक पहुँच जाती है
हर बार , ये बात
मुझे मुझसे मिला जाती है

Saturday 18 March 2017

मन

तुम ही तो कहते थे
तुम ही अहसास कराते थे
हम दोनो साथ है
एक ही आवाज़ है

शपथ कुछ ऐसी थी
जो दुनिया से परे थी
क्योंकि वो हम दोनो की बात थी
वो कुछ ऐसी थी
होने का प्रमाण देकर , जब बात आगे बढ़ती थी
तो कुछ अहसास कराती थी

ज़िंदा थी
ज़िंदगी क्योंकि यही हमारे साथ थी
वो सुनती थी
पर सुनाई नहीं देती थी
क्योंकि वो अहसास कराती थी

एक समय ऐसा था
जब सबको अहसास कराती थी
पर आज चुपचाप हमारे साथ थी
क्योंकि आज उसकी आवाज़ उसके साथ नहीं थी
वो दुनिया से ओझल हो चुकी थी
पर अब भी हमारी आँखों मे थी

उसकी बात कुछ ऐसी थी
जो बिन मुस्कुराए , ख़ुशी का अहसास कराती थी
जो न होकर भी मनु का अस्तित्व थी

कुछ ऐसा ही होता था
रोज़ , जब वो मुझे बताता था
ये मेरा मन ही था
जो उसके होने का अहसास कराता था ।

मन

तुम ही तो कहते थे
तुम ही अहसास कराते थे
हम दोनो साथ है
एक ही आवाज़ है

शपथ कुछ ऐसी थी
जो दुनिया से परे थी
क्योंकि वो हम दोनो की बात थी
वो कुछ ऐसी थी
होने का प्रमाण देकर , जब बात आगे बढ़ती थी
तो कुछ अहसास कराती थी

ज़िंदा थी
ज़िंदगी क्योंकि यही हमारे साथ थी
वो सुनती थी
पर सुनाई नहीं देती थी
क्योंकि वो अहसास कराती थी

एक समय ऐसा था
जब सबको अहसास कराती थी
पर आज चुपचाप हमारे साथ थी
क्योंकि आज उसकी आवाज़ उसके साथ नहीं थी
वो दुनिया से ओझल हो चुकी थी
पर अब भी हमारी आँखों मे थी

उसकी बात कुछ ऐसी थी
जो बिन मुस्कुराए , ख़ुशी का अहसास कराती थी
जो न होकर भी मनु का अस्तित्व थी

कुछ ऐसा ही होता था
रोज़ , जब वो मुझे बताता था
ये मेरा मन ही था
जो उसके होने का अहसास कराता था ।

Sunday 12 March 2017

सन्नाटा

सन्नाटा
एक शब्द अटपटा
कभी घेर लेता ये
तो कभी ओझल हो जाता ये

कुछ राहे दर्शाती
कभी बीच मे घिर जाती
कभी होने का अहसास कराता
तो कभी माँगने को दिल करता

कभी वक्त से ज़्यादा क़ीमत बताता अपनी
तो कभी ज़रूरत महसूस कराता अपनी
कभी ख़ुशी मे
तो कभी दुःख मे
अपना मूल्य जताता
तो कभी अपनी विशेषता बताता

कभी कमज़ोरी बनता
तो कभी मजबूरी बनता
एक तरफ़ ख़ुशी का इजहार करता
तो दूसरी तरफ़ यादों का दौरा करता

कभी जोड़ता
तो कभी तोड़ता
कभी खुद से
तो कभी मंज़िल से ।

सन्नाटा

सन्नाटा
एक शब्द अटपटा
कभी घेर लेता ये
तो कभी ओझल हो जाता ये

कुछ राहे दर्शाती
कभी बीच मे घिर जाती
कभी होने का अहसास कराता
तो कभी माँगने को दिल करता

कभी वक्त से ज़्यादा क़ीमत बताता अपनी
तो कभी ज़रूरत महसूस कराता अपनी
कभी ख़ुशी मे
तो कभी दुःख मे
अपना मूल्य जताता
तो कभी अपनी विशेषता बताता

कभी कमज़ोरी बनता
तो कभी मजबूरी बनता
एक तरफ़ ख़ुशी का इजहार करता
तो दूसरी तरफ़ यादों का दौरा करता

कभी जोड़ता
तो कभी तोड़ता
कभी खुद से
तो कभी मंज़िल से ।

Tuesday 7 March 2017

आत्मलिंगन

साथ तेरा था
तभी तो सपना मेरा था
उसे पूरा होना था
यही तो विचार हमारा था

कुछ बंदिशे थी
तो कही कौशिश अधूरी थी
मेहनत थी
कि दिलासा दिला रही थी

लगता था
आज मेरा था
पर दिन ढ़ल चुका था
यही सच था

बाकी बची हमारी सोच थी
यही अहसास करा रही थी
कि कुछ मुश्किलें थी
जो आड़े आ रही थी

सच था
जो हमारे सामने था
यही सच्चाई थी
क्योकि अब जीत की बारी थी ।

आत्मलिंगन

साथ तेरा था
तभी तो सपना मेरा था
उसे पूरा होना था
यही तो विचार हमारा था

कुछ बंदिशे थी
तो कही कौशिश अधूरी थी
मेहनत थी
कि दिलासा दिला रही थी

लगता था
आज मेरा था
पर दिन ढ़ल चुका था
यही सच था

बाकी बची हमारी सोच थी
यही अहसास करा रही थी
कि कुछ मुश्किलें थी
जो आड़े आ रही थी

सच था
जो हमारे सामने था
यही सच्चाई थी
क्योकि अब जीत की बारी थी ।

Wednesday 1 March 2017

चलते - चलते

पथ
जिस पर हैं रथ
पहचान
महज शाब्दिक ज्ञान

प्यार का कोई रूप नही होता
मंज़िल का कोई रास्ता नही होता
ये हमारी बनाई हुई वजह हैं
जिनसे हमारा कोई वास्ता नही होता
चन्द अलफाज , विचार नही होते
ये विचारों तक पहुँचने जरिया होते हैं

ज़िंदगी का कोई नाम नही होता
ये तो बहाना हैं , इसे मिटाने का ।

चलते - चलते

पथ
जिस पर हैं रथ
पहचान
महज शाब्दिक ज्ञान

प्यार का कोई रूप नही होता
मंज़िल का कोई रास्ता नही होता
ये हमारी बनाई हुई वजह हैं
जिनसे हमारा कोई वास्ता नही होता
चन्द अलफाज , विचार नही होते
ये विचारों तक पहुँचने जरिया होते हैं

ज़िंदगी का कोई नाम नही होता
ये तो बहाना हैं , इसे मिटाने का ।

Friday 24 February 2017

मुलाक़ात

हम फिर मिलेंगे
हम फिर गलें लगेंगे
मुस्कराते हुए
गुनगुनाते हुए

एक बार फिर
हम अनजान होंगे
जब देखेंगे , हम फिर
मुस्कुराएँगें

हम जिएँगे
यादों के अहसास के सहारे नहीं
बस, तुमसे फिर मिलेंगे
कौशिश से नहीं

ऐसा कुछ हुआ
ये विडंबना नही है
एक अहसास हुआ
इसलिए हम मिले

मेरी कौशिश थी
मेरी ही तक़दीर
शायद कोई बात भी थी
दूरी , बस एक लकीर

मुस्कुराएँगें
आंखो की नमी के साथ
शांत चित्त के साथ
जब हम फिर मिलेंगे ।

मुलाक़ात

हम फिर मिलेंगे
हम फिर गलें लगेंगे
मुस्कराते हुए
गुनगुनाते हुए

एक बार फिर
हम अनजान होंगे
जब देखेंगे , हम फिर
मुस्कुराएँगें

हम जिएँगे
यादों के अहसास के सहारे नहीं
बस, तुमसे फिर मिलेंगे
कौशिश से नहीं

ऐसा कुछ हुआ
ये विडंबना नही है
एक अहसास हुआ
इसलिए हम मिले

मेरी कौशिश थी
मेरी ही तक़दीर
शायद कोई बात भी थी
दूरी , बस एक लकीर

मुस्कुराएँगें
आंखो की नमी के साथ
शांत चित्त के साथ
जब हम फिर मिलेंगे ।

Sunday 19 February 2017

प्यार

एक शब्द
विचारों का
एक लफ्ज
अहसास का

एक नाम
इच्छाओं का
एक काम
स्वार्थो का

एक ज़रूरत
इंसान की
एक मोहब्बत
विश्वास की

सार्थक होगा
तभी अर्थ होगा
सच्चा होगा
तभी अमर होगा ।

प्यार

एक शब्द
विचारों का
एक लफ्ज
अहसास का

एक नाम
इच्छाओं का
एक काम
स्वार्थो का

एक ज़रूरत
इंसान की
एक मोहब्बत
विश्वास की

सार्थक होगा
तभी अर्थ होगा
सच्चा होगा
तभी अमर होगा ।

Monday 13 February 2017

कौशिश

इसे लगने दो
इसे प्यासा मरने दो
प्यास की क़ीमत समझने दो
इसे पागल रहने दो

प्यार मंज़िल नहीं
ये राह है
दिल राही नहीं
जरिया है

ये पागल नही करता
ये तो बस रखने का इंतेहान लेता
ये किसी दिल को पाना नहीं चाहता
ये बस उसमें डूबना चाहता

एक झलक पाने को
कितनी मेहनत करता
गले लगाने को
क्यों मरता

ये पागलपंती नहीं है
ये तो उसमें बस जाने की कौशिश है
ये अंत नहीं है
ये हमारा प्यारा घर हैं ।

कौशिश

इसे लगने दो
इसे प्यासा मरने दो
प्यास की क़ीमत समझने दो
इसे पागल रहने दो

प्यार मंज़िल नहीं
ये राह है
दिल राही नहीं
जरिया है

ये पागल नही करता
ये तो बस रखने का इंतेहान लेता
ये किसी दिल को पाना नहीं चाहता
ये बस उसमें डूबना चाहता

एक झलक पाने को
कितनी मेहनत करता
गले लगाने को
क्यों मरता

ये पागलपंती नहीं है
ये तो उसमें बस जाने की कौशिश है
ये अंत नहीं है
ये हमारा प्यारा घर हैं ।

Wednesday 8 February 2017

सच्चाई

हम है
या दिखावा है
अगर सच्चाई जानूँ
तो क्यों किसी की मानूँ

साथ जीना
या सिर्फ़ होना
अगर सच्चाई जानूँ
तो क्यों किसी की मानूँ

हम है
तो क्यों चिंता है
दुसरो के होने की
उनसे ज़्यादा करने की
अगर सच्चाई जानूँ
तो क्यों किसी की मानूँ

साथ जीना
था, सिर्फ़ बहाना
रिस्तो का
तो क्या मतलब है, परिचय का
अगर सच्चाई जानूँ
तो किसी की मानूँ ।

सच्चाई

हम है
या दिखावा है
अगर सच्चाई जानूँ
तो क्यों किसी की मानूँ

साथ जीना
या सिर्फ़ होना
अगर सच्चाई जानूँ
तो क्यों किसी की मानूँ

हम है
तो क्यों चिंता है
दुसरो के होने की
उनसे ज़्यादा करने की
अगर सच्चाई जानूँ
तो क्यों किसी की मानूँ

साथ जीना
था, सिर्फ़ बहाना
रिस्तो का
तो क्या मतलब है, परिचय का
अगर सच्चाई जानूँ
तो किसी की मानूँ ।

Friday 3 February 2017

आशा

कुछ हैं , होने को
हाँ तभी तो है 'आशा ' कुछ करने को

ज़िंदगी की रफ्तार में
हैवानियत की साज़ में
जिसे गाए जा रहा वो
अपनी ही आवाज़ में
है लिखता गीत वो
अपने ही अंदाज़ में
सब भूल बैठा वो
अपने ही स्वार्थ में

हाँ तभी तो है , यहाँ कुछ होने को ।

आशा

कुछ हैं , होने को
हाँ तभी तो है 'आशा ' कुछ करने को

ज़िंदगी की रफ्तार में
हैवानियत की साज़ में
जिसे गाए जा रहा वो
अपनी ही आवाज़ में
है लिखता गीत वो
अपने ही अंदाज़ में
सब भूल बैठा वो
अपने ही स्वार्थ में

हाँ तभी तो है , यहाँ कुछ होने को ।

Monday 30 January 2017

दूरियाँ

कभी अन्त नहीं
बस शुरुआत है
रोक लो
तो बस फासला है

ये मेरा है
मात्र छलावा है
वजह है
अभी फासला है

सार होगा
हमारे जीवन का
पर वक्त नहीं होगा
बस रास्ता होगा अन्त का

सबका घर है
पर जाना किसको है
अभी वक्त है
क्योंकि अभी दूरियाँ है ।

दूरियाँ

कभी अन्त नहीं
बस शुरुआत है
रोक लो
तो बस फासला है

ये मेरा है
मात्र छलावा है
वजह है
अभी फासला है

सार होगा
हमारे जीवन का
पर वक्त नहीं होगा
बस रास्ता होगा अन्त का

सबका घर है
पर जाना किसको है
अभी वक्त है
क्योंकि अभी दूरियाँ है ।

Wednesday 25 January 2017

साथ

मैं जानता हूँ
मैं मानता हूँ
मेरे कुछ मायने हैं
तेरे लिए

मैं हूँ
कुछ रखता भी हूँ
वो हैं
तेरे लिए

नादान हूँ
अनजान भी हूँ
पर कृतज्ञता हैं
तेरे लिए

सही हूँ
कभी ग़लत हूँ
पर तेरा साथ हैं
मेरे लिए

मैं प्रमाण हूँ
मैं पहचान हूँ
तू हैं
मेरे लिए ।

साथ

मैं जानता हूँ
मैं मानता हूँ
मेरे कुछ मायने हैं
तेरे लिए

मैं हूँ
कुछ रखता भी हूँ
वो हैं
तेरे लिए

नादान हूँ
अनजान भी हूँ
पर कृतज्ञता हैं
तेरे लिए

सही हूँ
कभी ग़लत हूँ
पर तेरा साथ हैं
मेरे लिए

मैं प्रमाण हूँ
मैं पहचान हूँ
तू हैं
मेरे लिए ।

Friday 20 January 2017

मंज़िल

चलती धरा
बहता जीवन
जोश से भरा
और मेरा मन

इस पल, एक ओर
कुछ नया सा
मेरी ओर
अपना सा

लफ्जो से
नजरो से
कुछ मेरा सा
मेरी ओर

बह जाऊँ
बस,तेरी ओर
हो जाऊँ
बस,तेरा सा

बन जाऊँ
मेरा सा
तेरे लिए
तेरी ओर

मंज़िल

चलती धरा
बहता जीवन
जोश से भरा
और मेरा मन

इस पल, एक ओर
कुछ नया सा
मेरी ओर
अपना सा

लफ्जो से
नजरो से
कुछ मेरा सा
मेरी ओर

बह जाऊँ
बस,तेरी ओर
हो जाऊँ
बस,तेरा सा

बन जाऊँ
मेरा सा
तेरे लिए
तेरी ओर

Sunday 15 January 2017

रिश्ता

सुख हो
चाहे दुःख हो
एक मुस्कराता चेहरा
मेरे साथ

सही हूँ
या कभी गलत हूँ
एक खिलता चेहरा
मेरे लिए

ख़ुशी हो
या दर्द हो
एक हँसता चेहरा
मेरे लिए

एक रिश्ता
भावों से भरा
अभावो के साथ
मेरे लिए, पूर्ण ।

रिश्ता

सुख हो
चाहे दुःख हो
एक मुस्कराता चेहरा
मेरे साथ

सही हूँ
या कभी गलत हूँ
एक खिलता चेहरा
मेरे लिए

ख़ुशी हो
या दर्द हो
एक हँसता चेहरा
मेरे लिए

एक रिश्ता
भावों से भरा
अभावो के साथ
मेरे लिए, पूर्ण ।

Wednesday 11 January 2017

साथी

साथी
ज़रूरी है
पर मजबूरी नहीं
यही तो सोच नहीं

लगता कुछ अधूरा है
क्योंकि लगन पराई है
लगता ज़िंदगी परछाईं है
क्योंकि अंधेरा अभी बाकी है

ये तो बहाना है
पीछे स्वार्थो का निशाना है
सब छिप जाता है
क्योंकि खुद को ढक लिया जाता है

साथ है
यही तो परिभाषा है
अभी नया है
यही तो खंडन की अभिलाषा हैं

अभी शुरुआत है
मध्य अंत का बाकी है
खुद की तो छोड़ो
अभी तो गुमशुदा की तलाश बाकी है , साथी ।

साथी

साथी
ज़रूरी है
पर मजबूरी नहीं
यही तो सोच नहीं

लगता कुछ अधूरा है
क्योंकि लगन पराई है
लगता ज़िंदगी परछाईं है
क्योंकि अंधेरा अभी बाकी है

ये तो बहाना है
पीछे स्वार्थो का निशाना है
सब छिप जाता है
क्योंकि खुद को ढक लिया जाता है

साथ है
यही तो परिभाषा है
अभी नया है
यही तो खंडन की अभिलाषा हैं

अभी शुरुआत है
मध्य अंत का बाकी है
खुद की तो छोड़ो
अभी तो गुमशुदा की तलाश बाकी है , साथी ।

Saturday 7 January 2017

धुरी

कुछ ना
हो बस काम
धुरी हो मोम
फिर हो कोई नाम

ज़रूरत हो
तो बस साथ की
वो भी खुद की
फिर चाहे मंज़िल हो सोच की

बढ़ना हो एक शर्त पे
रुकना ना पड़े कही पे
चाहे लाइन टूटी हो
पर ज़िंदगी साथ हो

दूरी हो चाहे मंज़िल से
पर दूरियाँ  ना हो ज़िंदगी से
क्योंकि धुरी है इंसानियत से

धुरी

कुछ ना
हो बस काम
धुरी हो मोम
फिर हो कोई नाम

ज़रूरत हो
तो बस साथ की
वो भी खुद की
फिर चाहे मंज़िल हो सोच की

बढ़ना हो एक शर्त पे
रुकना ना पड़े कही पे
चाहे लाइन टूटी हो
पर ज़िंदगी साथ हो

दूरी हो चाहे मंज़िल से
पर दूरियाँ  ना हो ज़िंदगी से
क्योंकि धुरी है इंसानियत से

Monday 2 January 2017

लगाव

होना चाहिए
क्योंकि हमें साथ चाहिए
स्वार्थो से दूरी चाहिए
इसलिए विश्वास चाहिए

लगाव हैं
ममता, प्यार
ये विश्वास जगाता हैं
क्योंकि ये हैं

मैं विश्वास हूँ
तो फ़रियाद करता हूँ
लगाव हो
पर, मतलब ना हो

शायद ये सब आज नहीं
पर हमेशा , नहीं
क्योंकि इंसान हूँ
इसलिए लगाव रखता हूँ

विश्वास जगाता हूँ
ये होगा , कल हमारा होगा
जो हमारे साथ होगा
लगाव और सच्चाई का साथ होगा ।

लगाव

होना चाहिए
क्योंकि हमें साथ चाहिए
स्वार्थो से दूरी चाहिए
इसलिए विश्वास चाहिए

लगाव हैं
ममता, प्यार
ये विश्वास जगाता हैं
क्योंकि ये हैं

मैं विश्वास हूँ
तो फ़रियाद करता हूँ
लगाव हो
पर, मतलब ना हो

शायद ये सब आज नहीं
पर हमेशा , नहीं
क्योंकि इंसान हूँ
इसलिए लगाव रखता हूँ

विश्वास जगाता हूँ
ये होगा , कल हमारा होगा
जो हमारे साथ होगा
लगाव और सच्चाई का साथ होगा ।