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Sunday 25 December 2016

खामोशी

ख़ुशी का इजहार करती
गमो को समेटे रखती
कभी कारण बनती
तो कभी बनाती

अक्सर यूही अपना मूल्य जताती
कभी हथियार बनती
तो कभी ढाल को मज़बूत बनाती
और कभी रखने का इंतेहान लेती

खुद के बजाए साथी को मज़बूत बनाती
साथी से ही अपनी पहचान बताती
क्योंकि सब साथी के नाम कर देती
फिर भी अक्सर बुरा कहलाती

अपने साथ का वादा करती
और सब्र की परीक्षा लेती
अपना मूल्य जताती
साथी की पहचान बनाती ।

खामोशी

ख़ुशी का इजहार करती
गमो को समेटे रखती
कभी कारण बनती
तो कभी बनाती

अक्सर यूही अपना मूल्य जताती
कभी हथियार बनती
तो कभी ढाल को मज़बूत बनाती
और कभी रखने का इंतेहान लेती

खुद के बजाए साथी को मज़बूत बनाती
साथी से ही अपनी पहचान बताती
क्योंकि सब साथी के नाम कर देती
फिर भी अक्सर बुरा कहलाती

अपने साथ का वादा करती
और सब्र की परीक्षा लेती
अपना मूल्य जताती
साथी की पहचान बनाती ।

Tuesday 20 December 2016

परवाह

मुझे परवाह हैं
मेरे पागलपन की
और उसके साथ की
जो मुझे रखता ज़िंदा  हैं

मेरी परवाह ज़िंदा हैं
क्योंकि बेपरवाही के किसी कोने में
जीवन के सार में
मेरी ज़िंदगी ज़िंदा हैं

मेरी ज़िंदगी ज़िंदा हैं
क्योंकि किसी के भावों में
और मेरे भावनाओं  के सागर में
एक रिश्ता ज़िंदा हैं

मेरा पागलपन ज़िंदा हैं
क्योंकि किसी की
परवाह ज़िंदा हैं ।
जो वजह हैं , मेरे ज़िंदा होने की ।

परवाह

मुझे परवाह हैं
मेरे पागलपन की
और उसके साथ की
जो मुझे रखता ज़िंदा  हैं

मेरी परवाह ज़िंदा हैं
क्योंकि बेपरवाही के किसी कोने में
जीवन के सार में
मेरी ज़िंदगी ज़िंदा हैं

मेरी ज़िंदगी ज़िंदा हैं
क्योंकि किसी के भावों में
और मेरे भावनाओं  के सागर में
एक रिश्ता ज़िंदा हैं

मेरा पागलपन ज़िंदा हैं
क्योंकि किसी की
परवाह ज़िंदा हैं ।
जो वजह हैं , मेरे ज़िंदा होने की ।

Friday 16 December 2016

बड़त (Growth)

एक दूरी रह गई
एक फासला बन गया
वो लगन गई
क्योंकि ढलते दिन के साथ , मैं ढल गया

ये सच हैं
जो मुझसे हैं
ये चाह नहीं हैं मेरी
पर इससे विपरीत कौशिश भी नहीं मेरी

वो पल मुझे गवाँने नहीं हैं
वो बाते किसी को बतानी नहीं हैं
ये कहानी मुझे पूरी नहीं करनी हैं
मुझे आज भी तेरे साथ जीना हैं

मुझे कोई फल नहीं चाहिए
मुझे कोई अर्थ नहीं चाहिए
मुझे किसी के भाव नहीं चाहिए
मैं तेरा हूँ ,बस यहीं अंत चाहिए

मैं एक माध्यम ज़रूर हूँ
मैं एक कर्ता ज़रूर हूँ
मैं कर्म का कारण ज़रूर हूँ
पर मैं सिर्फ़ तुझ से हूँ

कुछ समेटे हुए पल हैं , मेरे
कुछ बातें हैं हमारी
कुछ यादें हैं हमारी
जो अब मुस्कान हैं मेरी

मुझे गर्व हैं मुझपें
मैंने उसे चुना
आज कुछ हैं मुझमें
क्योंकि उसने मुझे बुना ।

बड़त (Growth)

एक दूरी रह गई
एक फासला बन गया
वो लगन गई
क्योंकि ढलते दिन के साथ , मैं ढल गया

ये सच हैं
जो मुझसे हैं
ये चाह नहीं हैं मेरी
पर इससे विपरीत कौशिश भी नहीं मेरी

वो पल मुझे गवाँने नहीं हैं
वो बाते किसी को बतानी नहीं हैं
ये कहानी मुझे पूरी नहीं करनी हैं
मुझे आज भी तेरे साथ जीना हैं

मुझे कोई फल नहीं चाहिए
मुझे कोई अर्थ नहीं चाहिए
मुझे किसी के भाव नहीं चाहिए
मैं तेरा हूँ ,बस यहीं अंत चाहिए

मैं एक माध्यम ज़रूर हूँ
मैं एक कर्ता ज़रूर हूँ
मैं कर्म का कारण ज़रूर हूँ
पर मैं सिर्फ़ तुझ से हूँ

कुछ समेटे हुए पल हैं , मेरे
कुछ बातें हैं हमारी
कुछ यादें हैं हमारी
जो अब मुस्कान हैं मेरी

मुझे गर्व हैं मुझपें
मैंने उसे चुना
आज कुछ हैं मुझमें
क्योंकि उसने मुझे बुना ।

Saturday 10 December 2016

विधाता

कह दूँ
मुझे विश्वास हैं
हाँ हैं
या लौटा दूँ

जहाँ तक मैने जाना
और जितना पाया
जितना किया
और जितना हैं करना

इसे कहो विश्वास
या अहसास
हाँ ये हैं
ये वहीं हैं , विधाता

एक दिन डूबना हैं
अन्नत संघनता लेकर
या शून्य बनकर
ये सच्चाई हैं ।

विधाता

कह दूँ
मुझे विश्वास हैं
हाँ हैं
या लौटा दूँ

जहाँ तक मैने जाना
और जितना पाया
जितना किया
और जितना हैं करना

इसे कहो विश्वास
या अहसास
हाँ ये हैं
ये वहीं हैं , विधाता

एक दिन डूबना हैं
अन्नत संघनता लेकर
या शून्य बनकर
ये सच्चाई हैं ।

Tuesday 6 December 2016

उम्मीद (hope)

एक विचार
एक धारा
जो प्रवाहमयी हैं
जो संजीवनी हैं

ये परिचय हैं
हमारे विचारों का
ये वो सहष्णुता हैं
जो हमारे व्यवहार में हैं

ये  वो रहस्य हैं
जो हमारी ज़िंदगी में हैं
ये हमारे लिये हैं
पर पहले हमसे हैं

इसका निर्माण
पालन पोषण
जिदंगी हैं
जिस से हम हैं

उम्मीद (hope)

एक विचार
एक धारा
जो प्रवाहमयी हैं
जो संजीवनी हैं

ये परिचय हैं
हमारे विचारों का
ये वो सहष्णुता हैं
जो हमारे व्यवहार में हैं

ये  वो रहस्य हैं
जो हमारी ज़िंदगी में हैं
ये हमारे लिये हैं
पर पहले हमसे हैं

इसका निर्माण
पालन पोषण
जिदंगी हैं
जिस से हम हैं

Tuesday 29 November 2016

अहसास

अंधेरा
या अहसास उजाले का
निर्दयता
या अहसास दयालुता का

विडंबना हैं
मेरे तंत्र की
सहमति हैं
मेरे तंत्रो की

मैं जिस से बना हूँ
ये तत्व वो हैं
जो मेरा ढंग , मेरा रुप हैं
ये प्रत्यक्ष नहीं, अप्रत्यक्ष हैं

मैं जो हूँ
इन्हीं की वजह से हूँ
यही प्रमाण हैं
मुझ मैं इन्हीं का स्वरूप झलकता हैं

मैं अग्नि हूँ
तो मुझे ल का अहसास होना चाहिए
मैं भूमि हूँ
तो आकाश का   अहसास भी होना चाहिए

अहसास

अंधेरा
या अहसास उजाले का
निर्दयता
या अहसास दयालुता का

विडंबना हैं
मेरे तंत्र की
सहमति हैं
मेरे तंत्रो की

मैं जिस से बना हूँ
ये तत्व वो हैं
जो मेरा ढंग , मेरा रुप हैं
ये प्रत्यक्ष नहीं, अप्रत्यक्ष हैं

मैं जो हूँ
इन्हीं की वजह से हूँ
यही प्रमाण हैं
मुझ मैं इन्हीं का स्वरूप झलकता हैं

मैं अग्नि हूँ
तो मुझे ल का अहसास होना चाहिए
मैं भूमि हूँ
तो आकाश का   अहसास भी होना चाहिए

Thursday 24 November 2016

विचार

आसार हैं
हमारे जीवन के
रंग हैं
हमारे मौसम के

ये क्षणिक हैं
पर प्रभावमयी हैं
ये कोई पहलू नहीं हैं
पर ये उसका कारण हैं

ये मंच की कहानी नहीं हैं
पर ये वो दृश्य हैं
जिनसे कहानी बनती हैं
और मंच, रंगमंच बनता हैं

ये मात्र कारण हैं
हमारे जीवन के
पर ये वो कारण हैं
जो ज़िंदगी हैं, जीवन का ।

विचार

आसार हैं
हमारे जीवन के
रंग हैं
हमारे मौसम के

ये क्षणिक हैं
पर प्रभावमयी हैं
ये कोई पहलू नहीं हैं
पर ये उसका कारण हैं

ये मंच की कहानी नहीं हैं
पर ये वो दृश्य हैं
जिनसे कहानी बनती हैं
और मंच, रंगमंच बनता हैं

ये मात्र कारण हैं
हमारे जीवन के
पर ये वो कारण हैं
जो ज़िंदगी हैं, जीवन का ।

Saturday 19 November 2016

Love you ज़िंदगी

मैं बतलाऊँगा
मैं हर बात समझाऊँगा
पर फ़र्क़ नहीं
मैं सिर्फ़ सच की ताक़त दिखाऊँगा

उसका अन्त नहीं
वो अन्नत हैं
उसे परवाह नहीं
वो बेपरवाह हैं

वो बेखौफ हैं
वो निस्वार्थ हैं
क्योंकि वो हैं
ये बस उसका रूप हैं

जब उससे मिलोगे
जरूरत नहीं होगी
कोई रीति अपनाने की
कोई रिवाज़ समझने की

खुद को उसमें पाओगे
जब कुछ जानना चाहोगे
निश्चिंत हो जाओगे
जब उसका साथ पाओगे

वो तुमसे बड़ी नहीं हैं
पर तुम उसमें समा जाओगे
जब तुम उससे जुड़ना चाहोगे
और हाँ , वो कोई अन्त नहीं हैं

खुद को कभी देखने की इच्छा न करना
बस जानने की कोशिश करना
क्योंकि ये क्षणिक हैं
और मोह बड़ा ताक़तवर हैं

डूबने की कोशिश में
नहीं रहना कभी सपनों में
जो हो बड़े बनने के
क्योंकि यहाँ भाव हैं , सिर्फ़ गहराई के

वो बनाएगी
पर तुझे नहीं
तेरे विचारों को
क्योंकि तू सिर्फ़ एक 'पहर ' हैं

मेरा वादा हैं आपसे
वो जरूर होगा आपमें
अगर डुबोगे
गहराई में

कोई शर्त नहीं हैं
कोई मंज़िल नहीं हैं
सिर्फ़ साथ हैं सच्चाई का
और भाव हैं उसमें डूब जाने का ।

Love you ज़िंदगी

मैं बतलाऊँगा
मैं हर बात समझाऊँगा
पर फ़र्क़ नहीं
मैं सिर्फ़ सच की ताक़त दिखाऊँगा

उसका अन्त नहीं
वो अन्नत हैं
उसे परवाह नहीं
वो बेपरवाह हैं

वो बेखौफ हैं
वो निस्वार्थ हैं
क्योंकि वो हैं
ये बस उसका रूप हैं

जब उससे मिलोगे
जरूरत नहीं होगी
कोई रीति अपनाने की
कोई रिवाज़ समझने की

खुद को उसमें पाओगे
जब कुछ जानना चाहोगे
निश्चिंत हो जाओगे
जब उसका साथ पाओगे

वो तुमसे बड़ी नहीं हैं
पर तुम उसमें समा जाओगे
जब तुम उससे जुड़ना चाहोगे
और हाँ , वो कोई अन्त नहीं हैं

खुद को कभी देखने की इच्छा न करना
बस जानने की कोशिश करना
क्योंकि ये क्षणिक हैं
और मोह बड़ा ताक़तवर हैं

डूबने की कोशिश में
नहीं रहना कभी सपनों में
जो हो बड़े बनने के
क्योंकि यहाँ भाव हैं , सिर्फ़ गहराई के

वो बनाएगी
पर तुझे नहीं
तेरे विचारों को
क्योंकि तू सिर्फ़ एक 'पहर ' हैं

मेरा वादा हैं आपसे
वो जरूर होगा आपमें
अगर डुबोगे
गहराई में

कोई शर्त नहीं हैं
कोई मंज़िल नहीं हैं
सिर्फ़ साथ हैं सच्चाई का
और भाव हैं उसमें डूब जाने का ।

Monday 14 November 2016

शुरुआत

मैं बेखौफ हूँ
मैं निडर हूँ
मैं बेबाक हूँ
क्योंकि आज किसी का साथ हैं

ये मेरे विचार थे
ये मेरा रूप था
जब मैं मेरे अनुरूप था
दुनिया की कहानी सिर्फ़ क़िस्से थे

आज फिर से उस आग ने
खुद को ज़िंदा पाया हैं
जिसने
मुझे बनाया हैं

मैं परवाह करता हूँ
उस रिश्ते की
उन भावों की
जिन्होंने उनको बनाया हैं

क्योंकि उन्हीं की वजह से
मैं उनके साथ हूँ
मैं गर्व से कहता हूँ
मैं हमारे प्रधान मंत्री नरेन्र्द मोदी के साथ हूँ ।

शुरुआत

मैं बेखौफ हूँ
मैं निडर हूँ
मैं बेबाक हूँ
क्योंकि आज किसी का साथ हैं

ये मेरे विचार थे
ये मेरा रूप था
जब मैं मेरे अनुरूप था
दुनिया की कहानी सिर्फ़ क़िस्से थे

आज फिर से उस आग ने
खुद को ज़िंदा पाया हैं
जिसने
मुझे बनाया हैं

मैं परवाह करता हूँ
उस रिश्ते की
उन भावों की
जिन्होंने उनको बनाया हैं

क्योंकि उन्हीं की वजह से
मैं उनके साथ हूँ
मैं गर्व से कहता हूँ
मैं हमारे प्रधान मंत्री नरेन्र्द मोदी के साथ हूँ ।

Friday 11 November 2016

कल्पना

शुरुआत हैं
कुछ होने की
तरक्की हैं
मानव जाति की

परिपक्व होगी
जब कोशिश होगी
बीज अंकुरित होगा
जब कर्म सार्थक होगा

ये नाम नहीं पूछती
ये कौम नहीं पूछती
ये काम नहीं जानती
ये सिर्फ़ सोच जानती।

जैसी होगी
वैसा ही बना देगी
सब कुछ देगी
और भविष्य बना देगी ।

कल्पना

शुरुआत हैं
कुछ होने की
तरक्की हैं
मानव जाति की

परिपक्व होगी
जब कोशिश होगी
बीज अंकुरित होगा
जब कर्म सार्थक होगा

ये नाम नहीं पूछती
ये कौम नहीं पूछती
ये काम नहीं जानती
ये सिर्फ़ सोच जानती।

जैसी होगी
वैसा ही बना देगी
सब कुछ देगी
और भविष्य बना देगी ।

Monday 7 November 2016

प्रभाव

ये हमारा स्वरुप हैं
समाज के प्रति
या समाज का रुप हैं
हमारे प्रति

हम जैसे हैं
समाज भी वैसा हैं
ये सिर्फ़ घेराव हैं
हमारे विचारों का

हम माघ्यम हैं
विचारों के
एक अंश भर हैं
समाज के

हम बुनकर नहीं हैं
हम सिर्फ़ कपास हैं
ये मेरा प्रभाव नहीं हैं
ये हमारा हैं

प्रभाव

ये हमारा स्वरुप हैं
समाज के प्रति
या समाज का रुप हैं
हमारे प्रति

हम जैसे हैं
समाज भी वैसा हैं
ये सिर्फ़ घेराव हैं
हमारे विचारों का

हम माघ्यम हैं
विचारों के
एक अंश भर हैं
समाज के

हम बुनकर नहीं हैं
हम सिर्फ़ कपास हैं
ये मेरा प्रभाव नहीं हैं
ये हमारा हैं

Thursday 3 November 2016

पारदर्शीता

जीवन की पटरी पर
ज़िंदगी के वक्त पर
जो फ़र्क़ पड़ता हैं समझ पर
वही लगता हैं सोच पर।

जैसा रंग रंगोगे सोच पर
वैसा ढंग दिखेगा व्यवहार पर
वही लगेगा ज़िंदगी पर
यही होगा जीवन के परदे पर।

कुछ सितारे होगें
तो कुछ दब्बे होगें
जो अपनी छटा बिखेर रहें होगें
उन्हें हम ही दिखा रहें होगें ।

कुछ होगा ऐसा
जो नहीं होना चाहिए वैसा
पर कुछ तो होगा ही ऐसा
जो होना चाहिए वैसा।

पारदर्शीता

जीवन की पटरी पर
ज़िंदगी के वक्त पर
जो फ़र्क़ पड़ता हैं समझ पर
वही लगता हैं सोच पर।

जैसा रंग रंगोगे सोच पर
वैसा ढंग दिखेगा व्यवहार पर
वही लगेगा ज़िंदगी पर
यही होगा जीवन के परदे पर।

कुछ सितारे होगें
तो कुछ दब्बे होगें
जो अपनी छटा बिखेर रहें होगें
उन्हें हम ही दिखा रहें होगें ।

कुछ होगा ऐसा
जो नहीं होना चाहिए वैसा
पर कुछ तो होगा ही ऐसा
जो होना चाहिए वैसा।

Thursday 27 October 2016

यादें

यादें घर कर लेती हैं
प्यारे से घर में
इस अनछूए से घर में
कुछ यादें बस जाती हैं घर में
तब अपना लगता हैं घर

कभी खाली सा लगने लगता हैं घर
जब यादें याद छोड़ जाती हैं घर में
क्योंकि याद घर कर लेती हैं प्यारे से घर में

कभी कुछ बस जाता हैं मन में
जो रच जाता है तन में
यही याद है प्यारी सी यादें में
जो रह जाती है घर में ।

यादें

यादें घर कर लेती हैं
प्यारे से घर में
इस अनछूए से घर में
कुछ यादें बस जाती हैं घर में
तब अपना लगता हैं घर

कभी खाली सा लगने लगता हैं घर
जब यादें याद छोड़ जाती हैं घर में
क्योंकि याद घर कर लेती हैं प्यारे से घर में

कभी कुछ बस जाता हैं मन में
जो रच जाता है तन में
यही याद है प्यारी सी यादें में
जो रह जाती है घर में ।

Sunday 23 October 2016

प्रकृति

मैं प्यार हूँ
तेरा
तू  अस्तित्व हैं
मेरा

ख्वाहिशें भरी ज़िंदगी
हैं ,मेरी बंदगी
जरूरतो संग,ज़िंदगी
हैं , मेरी प्रकृति

फिर भी एक ख्वाहिश हैं मेरी
हर साँस हो तेरी
चाहें विपक्ष हो दुनिया सारी
मुझे परवाह नहीं, मेरी

तुझ में बस जाऊँ
ये चाह नहीं
दिली ख्वाहिश हैं ,मेरी
चाहें फिर जुदा हो जाऊँ

ये भविष्य नहीं
पर
विश्वास हैं
मेरा

प्रकृति

मैं प्यार हूँ
तेरा
तू  अस्तित्व हैं
मेरा

ख्वाहिशें भरी ज़िंदगी
हैं ,मेरी बंदगी
जरूरतो संग,ज़िंदगी
हैं , मेरी प्रकृति

फिर भी एक ख्वाहिश हैं मेरी
हर साँस हो तेरी
चाहें विपक्ष हो दुनिया सारी
मुझे परवाह नहीं, मेरी

तुझ में बस जाऊँ
ये चाह नहीं
दिली ख्वाहिश हैं ,मेरी
चाहें फिर जुदा हो जाऊँ

ये भविष्य नहीं
पर
विश्वास हैं
मेरा

Wednesday 19 October 2016

परिचय

हम जो  हैं
वो हमारा स्वरूप है
हम जो आज हैं
वो कल का रूप हैं।

अच्छाई
बुराई
हमारी ही इकाई
जो हमने ही बनाई

हम ग़लत हैं
कहीं ना कहीं
ताकि सच का अहसास हो
अच्छाई का आभास हो

जो गुण हैं हम में
जो अवगुण हैं हम में
वो मात्र रूप नहीं
परिचय हैं हमारा

परिचय

हम जो  हैं
वो हमारा स्वरूप है
हम जो आज हैं
वो कल का रूप हैं।

अच्छाई
बुराई
हमारी ही इकाई
जो हमने ही बनाई

हम ग़लत हैं
कहीं ना कहीं
ताकि सच का अहसास हो
अच्छाई का आभास हो

जो गुण हैं हम में
जो अवगुण हैं हम में
वो मात्र रूप नहीं
परिचय हैं हमारा

Tuesday 11 October 2016

विकराल

ये रुप नहीं
पैमाना हैं
उसका नहीं
हमारा हैं

उत्सुकता से देखता रहूँ
या सोचता रहूँ
ये सीमित होगा
क्योंकि अंर्तःमन अभी नहीं जगा

सोचता रहूँ
या निश्चिंत रहूँ
मैं वहीं हूँ
क्योंकि मैं अचेत हूँ

इच्छा नहीं
कोशिश चाहिए
ज़िंदा रहने की नहीं
रखने की हिम्मत चाहिए

खुद को नहीं
मन को
विवशता मे नहीं
चंचलता में

ये सीमित नहीं
असीमित हैं
विवशता में नहीं
चंचलता में हैं

इसका रुप नहीं
ये तो हमारा ढंग हैं
ये हैं नहीं
यही तो हमारा मन हैं

विकराल

ये रुप नहीं
पैमाना हैं
उसका नहीं
हमारा हैं

उत्सुकता से देखता रहूँ
या सोचता रहूँ
ये सीमित होगा
क्योंकि अंर्तःमन अभी नहीं जगा

सोचता रहूँ
या निश्चिंत रहूँ
मैं वहीं हूँ
क्योंकि मैं अचेत हूँ

इच्छा नहीं
कोशिश चाहिए
ज़िंदा रहने की नहीं
रखने की हिम्मत चाहिए

खुद को नहीं
मन को
विवशता मे नहीं
चंचलता में

ये सीमित नहीं
असीमित हैं
विवशता में नहीं
चंचलता में हैं

इसका रुप नहीं
ये तो हमारा ढंग हैं
ये हैं नहीं
यही तो हमारा मन हैं

Monday 10 October 2016

समाज

जीव की जरुरत
भगवान की मोहब्बत
हमारी मनंत
कैसे हो इज़्ज़त

जीना था
इसलिए जरुरत थी
जीवन अपना था
इसलिए साथ की जरूरत थी

यह विचार था
आपस मे बांधना था
यही रचना थी
क्योंकि मजबूरी थी

समाज था
ताकि परिवेश अपना हो
विचारों का झुंड था
ताकि समाज अपना हो

स्वार्थ ने धरना दिया
हमने इसे बाँट दिया
जिसे धर्म का नाम दिया
और उसे भी कर्मो में बाँट दिया

आज ये समाज नहीं हैं
सिर्फ़ स्वार्थ हैं
क्योंकि ये उसकी परिभाषा नहीं हैं
आज हम फिर अकेले हैं

समाज

जीव की जरुरत
भगवान की मोहब्बत
हमारी मनंत
कैसे हो इज़्ज़त

जीना था
इसलिए जरुरत थी
जीवन अपना था
इसलिए साथ की जरूरत थी

यह विचार था
आपस मे बांधना था
यही रचना थी
क्योंकि मजबूरी थी

समाज था
ताकि परिवेश अपना हो
विचारों का झुंड था
ताकि समाज अपना हो

स्वार्थ ने धरना दिया
हमने इसे बाँट दिया
जिसे धर्म का नाम दिया
और उसे भी कर्मो में बाँट दिया

आज ये समाज नहीं हैं
सिर्फ़ स्वार्थ हैं
क्योंकि ये उसकी परिभाषा नहीं हैं
आज हम फिर अकेले हैं

Thursday 29 September 2016

एक दोस्त

अंधेरा पसरा
डर हुआ गहरा
अब नहीं रहा
उजाले का पहरा

ये था
या अहसास था
उजाले का
या उसके साथ का

एक आहट थी
एक आवाज़ थी
जो साथ थी
अब एक याद हैं

एक रिश्ता था
सच्चा था
अब नहीं हैं
उसका सिर्फ़ अहसास हैं

ये तो एक बहाना हैं
तुझे तो जगाना हैं
नींद से नहीं
सपनों से बाहर लाना हैं

एक दोस्त

अंधेरा पसरा
डर हुआ गहरा
अब नहीं रहा
उजाले का पहरा

ये था
या अहसास था
उजाले का
या उसके साथ का

एक आहट थी
एक आवाज़ थी
जो साथ थी
अब एक याद हैं

एक रिश्ता था
सच्चा था
अब नहीं हैं
उसका सिर्फ़ अहसास हैं

ये तो एक बहाना हैं
तुझे तो जगाना हैं
नींद से नहीं
सपनों से बाहर लाना हैं

Saturday 24 September 2016

सच्चाई

वो खड़ी हैं तेरे सामने
फिर भी दूरबीन लगाई तूने सामने
वो कर दिखाने का साहस दिखाती हैं
तू देखने का प्रमाण देता हैं ।
वो हैं
पर तू उसे अनजान बना रहा हैं
वो अपना फ़र्ज़ निभा रही हैं
पर अब भी तू कर्तव्य से दूर हैं
वो बेखौफ तेरे सामने खड़ी हैं
पर हैवानियत अब भी तुझे बड़ी लग रही हैं
वो बेबस हैं
पर तू बेपरवाह हैं
वो होने का प्रमाण देती हैं
पर अब भी तू उसे न होने का कारण बता रहा हैं ।

माना कि तेरी भी कुछ मजबूरीयाँ रही होगी ।
पर सब कुछ होते हुए भी। कुछ न कर पाने वाली ज़िंदगी
कैसे जी रही होगी ।

सच्चाई

वो खड़ी हैं तेरे सामने
फिर भी दूरबीन लगाई तूने सामने
वो कर दिखाने का साहस दिखाती हैं
तू देखने का प्रमाण देता हैं ।
वो हैं
पर तू उसे अनजान बना रहा हैं
वो अपना फ़र्ज़ निभा रही हैं
पर अब भी तू कर्तव्य से दूर हैं
वो बेखौफ तेरे सामने खड़ी हैं
पर हैवानियत अब भी तुझे बड़ी लग रही हैं
वो बेबस हैं
पर तू बेपरवाह हैं
वो होने का प्रमाण देती हैं
पर अब भी तू उसे न होने का कारण बता रहा हैं ।

माना कि तेरी भी कुछ मजबूरीयाँ रही होगी ।
पर सब कुछ होते हुए भी। कुछ न कर पाने वाली ज़िंदगी
कैसे जी रही होगी ।

Monday 19 September 2016

साथ

मैं छूट गया
मुझसे
मैंने ख़ुशियाँ छीन ली
मुझसे

साथ जीने की आरज़ू
उस कोने की गुफ्तगू
क़ैद हो गई
मुझमें

राज़ था उनका
मुझपे
अब राज़ हैं उनका
मुझमें

ख्वाहिश
अब मुझमें नहीं
दर्द
अब मुझसे नहीं

साथ

मैं छूट गया
मुझसे
मैंने ख़ुशियाँ छीन ली
मुझसे

साथ जीने की आरज़ू
उस कोने की गुफ्तगू
क़ैद हो गई
मुझमें

राज़ था उनका
मुझपे
अब राज़ हैं उनका
मुझमें

ख्वाहिश
अब मुझमें नहीं
दर्द
अब मुझसे नहीं

Wednesday 14 September 2016

आत्मविश्वास

समझा नहीं
कुछ पल बचे हैं
जो जीना चाहते हैं
वो अब भी तेरे साथ हैं

तूने तो भूला दिए
सपने तेरे
जो हुआ करते थे अपने तेरे
अब भी बाकी बचे है , जो हैं तेरे

क्यों लड़खड़ाया तू
क्या जीना भूल गया तू
अब भी बाकी बची है , जिंदगी तेरी
जो देख रही राह टकटकी लगाए तेरी

क्यों छोड़ दिया तूने
विश्वास तेरा
क्या यही था परिचय तेरा
अब भी बाकी बचा है विश्वास तेरा

क्यों अडा है ज़िद पे तू
क्यों कहता है नहीं है तू
क्यों कहता है छोड़ दिया तूने सब तेरा
समझा नहीं , यही तो है विश्वास तेरा

आत्मविश्वास

समझा नहीं
कुछ पल बचे हैं
जो जीना चाहते हैं
वो अब भी तेरे साथ हैं

तूने तो भूला दिए
सपने तेरे
जो हुआ करते थे अपने तेरे
अब भी बाकी बचे है , जो हैं तेरे

क्यों लड़खड़ाया तू
क्या जीना भूल गया तू
अब भी बाकी बची है , जिंदगी तेरी
जो देख रही राह टकटकी लगाए तेरी

क्यों छोड़ दिया तूने
विश्वास तेरा
क्या यही था परिचय तेरा
अब भी बाकी बचा है विश्वास तेरा

क्यों अडा है ज़िद पे तू
क्यों कहता है नहीं है तू
क्यों कहता है छोड़ दिया तूने सब तेरा
समझा नहीं , यही तो है विश्वास तेरा

Thursday 8 September 2016

रास्ता ( way )

पथ
जिस पर हैं रथ
पहचान
महज शाब्दिक  ज्ञान ।

प्यार का कोई रुप नहीं होता
मंज़िल का कोई रास्ता नहीं होता
ये तो हमारी बनाई हुई वजह हैं
जिनसे हमारा कोई वास्ता नहीं होता
चन्द अल्फाजं , विचार नहीं होते
ये तों विचारो तक पहुँचने का जरिया होते हैं
जिन्दगी का कोई नाम नहीं होता
ये तो बहाना हैं
इसे मिटानें का ।

रास्ता ( way )

पथ
जिस पर हैं रथ
पहचान
महज शाब्दिक  ज्ञान ।

प्यार का कोई रुप नहीं होता
मंज़िल का कोई रास्ता नहीं होता
ये तो हमारी बनाई हुई वजह हैं
जिनसे हमारा कोई वास्ता नहीं होता
चन्द अल्फाजं , विचार नहीं होते
ये तों विचारो तक पहुँचने का जरिया होते हैं
जिन्दगी का कोई नाम नहीं होता
ये तो बहाना हैं
इसे मिटानें का ।

Friday 2 September 2016

अहसास

अहसास
हो तो सही
चाहें बुरा ही सही
पर हो तो सही ।

कुछ होगा
तभी तो होगा
अहसास , बाकी
चाहें ना ही सही ।

कुछ ना हो
और ये हो
तो करने को दिल चाहेगा
क्योंकि ये अपनी विशेषता बताएगा ।

ये हो
और कुछ बाकी बचा हो
ये फ़र्ज़ निभाएगा
बाकी जो तू चाहेगा ।

खुद को बनाएगा
जब तू जान जाएगा ।

अहसास

अहसास
हो तो सही
चाहें बुरा ही सही
पर हो तो सही ।

कुछ होगा
तभी तो होगा
अहसास , बाकी
चाहें ना ही सही ।

कुछ ना हो
और ये हो
तो करने को दिल चाहेगा
क्योंकि ये अपनी विशेषता बताएगा ।

ये हो
और कुछ बाकी बचा हो
ये फ़र्ज़ निभाएगा
बाकी जो तू चाहेगा ।

खुद को बनाएगा
जब तू जान जाएगा ।

Sunday 28 August 2016

ज़िंदगी ( Life )

कुछ सुन रहा था
लगा कुछ खनक रहा था
पर विश्वास था
कि आड़े आ रहा था
जुनून था
कि शोर मचा रहा था
आँखे देख नहीं पा रही थी
कि धुंध हटने का नाम नहीं ले रही थी
इन्हीं सब के बीच थी
मेरी ज़िंदगी , जो मुझ से कुछ कह रही थी

Who can teach us ?
 
There is not a single scale which can tells that , this is right or this is wrong even not a single person

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