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Tuesday 20 December 2016

परवाह

मुझे परवाह हैं
मेरे पागलपन की
और उसके साथ की
जो मुझे रखता ज़िंदा  हैं

मेरी परवाह ज़िंदा हैं
क्योंकि बेपरवाही के किसी कोने में
जीवन के सार में
मेरी ज़िंदगी ज़िंदा हैं

मेरी ज़िंदगी ज़िंदा हैं
क्योंकि किसी के भावों में
और मेरे भावनाओं  के सागर में
एक रिश्ता ज़िंदा हैं

मेरा पागलपन ज़िंदा हैं
क्योंकि किसी की
परवाह ज़िंदा हैं ।
जो वजह हैं , मेरे ज़िंदा होने की ।

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