A view towards innocent life
कह दूँमुझे विश्वास हैंहाँ हैं या लौटा दूँ
जहाँ तक मैने जानाऔर जितना पायाजितना कियाऔर जितना हैं करना
इसे कहो विश्वासया अहसासहाँ ये हैंये वहीं हैं , विधाता
एक दिन डूबना हैंअन्नत संघनता लेकरया शून्य बनकर ये सच्चाई हैं ।
No comments:
Post a Comment