जहाँ से शुरूआत थी
वहीं अन्त
जो मुस्कान थी
वही शान
जो बदलाव था
या जो अहसास था
सफर भी
मंजिल भी
जो भाव थे
या विचार
ये पल थे
खुशी के आधार
ना भाषा का सहारा
ना तंत्र का साथ था
ना दिखाने का गुरुर था
ना देखने का पैमाना
अनजान था
और अनजान रहा
पर कुछ था
जो हमारे बीच रहा