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Monday 14 January 2019

लम्हा

जहाँ से शुरूआत थी
वहीं अन्त
जो मुस्कान थी
वही शान

जो बदलाव था
या जो अहसास था
सफर भी
मंजिल भी

जो भाव थे
या विचार
ये पल थे
खुशी के आधार

ना भाषा का सहारा
ना तंत्र का साथ था
ना दिखाने का गुरुर था
ना देखने का पैमाना

अनजान था
और अनजान रहा
पर कुछ था
जो हमारे बीच रहा

लम्हा

जहाँ से शुरूआत थी
वहीं अन्त
जो मुस्कान थी
वही शान

जो बदलाव था
या जो अहसास था
सफर भी
मंजिल भी

जो भाव थे
या विचार
ये पल थे
खुशी के आधार

ना भाषा का सहारा
ना तंत्र का साथ था
ना दिखाने का गुरुर था
ना देखने का पैमाना

अनजान था
और अनजान रहा
पर कुछ था
जो हमारे बीच रहा