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Friday 3 May 2019

रिवाज

बादलो की गड़गड़ाहट से
बहती ठंडी हवा से
गर्मी की चाहत है
इसे तोड़ देते है

सूरज की गर्मी से
तपती धरा से
ठंड की चाहत है
इसे तोड़ देते है

उगते पौधे से
जीवन के चक्र से
बैर है
इसे तोड़ देते है

मन की चंचलता से
दिल के आग्रह से
स्वार्थ है 
तोड़ देते है

इसे बहने देते है
इसके साथ जीते है
इसे बढ़ने देते है
खुद के साथ जीना, जोड़ देते है ।

रिवाज

बादलो की गड़गड़ाहट से
बहती ठंडी हवा से
गर्मी की चाहत है
इसे तोड़ देते है

सूरज की गर्मी से
तपती धरा से
ठंड की चाहत है
इसे तोड़ देते है

उगते पौधे से
जीवन के चक्र से
बैर है
इसे तोड़ देते है

मन की चंचलता से
दिल के आग्रह से
स्वार्थ है 
तोड़ देते है

इसे बहने देते है
इसके साथ जीते है
इसे बढ़ने देते है
खुद के साथ जीना, जोड़ देते है ।