अंधेरा पसरा
डर हुआ गहरा
अब नहीं रहा
उजाले का पहरा
ये था
या अहसास था
उजाले का
या उसके साथ का
एक आहट थी
एक आवाज़ थी
जो साथ थी
अब एक याद हैं
एक रिश्ता था
सच्चा था
अब नहीं हैं
उसका सिर्फ़ अहसास हैं
ये तो एक बहाना हैं
तुझे तो जगाना हैं
नींद से नहीं
सपनों से बाहर लाना हैं