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Saturday 24 September 2016

सच्चाई

वो खड़ी हैं तेरे सामने
फिर भी दूरबीन लगाई तूने सामने
वो कर दिखाने का साहस दिखाती हैं
तू देखने का प्रमाण देता हैं ।
वो हैं
पर तू उसे अनजान बना रहा हैं
वो अपना फ़र्ज़ निभा रही हैं
पर अब भी तू कर्तव्य से दूर हैं
वो बेखौफ तेरे सामने खड़ी हैं
पर हैवानियत अब भी तुझे बड़ी लग रही हैं
वो बेबस हैं
पर तू बेपरवाह हैं
वो होने का प्रमाण देती हैं
पर अब भी तू उसे न होने का कारण बता रहा हैं ।

माना कि तेरी भी कुछ मजबूरीयाँ रही होगी ।
पर सब कुछ होते हुए भी। कुछ न कर पाने वाली ज़िंदगी
कैसे जी रही होगी ।

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