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Thursday 5 December 2019
शुन्य
शुन्य
Monday 22 July 2019
सफर
कोमल स्पर्श
नाजुक मर्म
चेतन मन
शांत तन
बंधन मुक्त
शाश्वत
पहचान
बेनाम
कमजोर नही
मजबूत है
व्यक्ति नही
व्यक्तित्व है
सुख-दुःख , दर्द-राहत
कहानी है सापेक्ष की
किस्सा नही
अभिव्यक्ति हूँ , मेरे विचारो की ।
सफर
कोमल स्पर्श
नाजुक मर्म
चेतन मन
शांत तन
बंधन मुक्त
शाश्वत
पहचान
बेनाम
कमजोर नही
मजबूत है
व्यक्ति नही
व्यक्तित्व है
सुख-दुःख , दर्द-राहत
कहानी है सापेक्ष की
किस्सा नही
अभिव्यक्ति हूँ , मेरे विचारो की ।
Sunday 7 July 2019
कहानी
तेरे हिस्से की कहानियाँ
तेरे हिस्से की नजदीकियां
और मेरी नादानीया
कहानी है मेरी
जो कभी खूब बुना था
खूब रंगा था
तेरे हिस्से का रंग
ये ढंग है मेरा
कुछ उलझने
कुछ शिकायते
जो बाकी थी
वो वजह है साथ की
जो हिस्सा है तेरा या मेरा
जो किस्सा है मेरा या तेरा
लिए चलते है साथ
ना तेरा ना मेरा
बस ये कहानी बयाँ किए चलते है ।
कहानी
तेरे हिस्से की कहानियाँ
तेरे हिस्से की नजदीकियां
और मेरी नादानीया
कहानी है मेरी
जो कभी खूब बुना था
खूब रंगा था
तेरे हिस्से का रंग
ये ढंग है मेरा
कुछ उलझने
कुछ शिकायते
जो बाकी थी
वो वजह है साथ की
जो हिस्सा है तेरा या मेरा
जो किस्सा है मेरा या तेरा
लिए चलते है साथ
ना तेरा ना मेरा
बस ये कहानी बयाँ किए चलते है ।
Friday 3 May 2019
रिवाज
बादलो की गड़गड़ाहट से
बहती ठंडी हवा से
गर्मी की चाहत है
इसे तोड़ देते है
सूरज की गर्मी से
तपती धरा से
ठंड की चाहत है
इसे तोड़ देते है
उगते पौधे से
जीवन के चक्र से
बैर है
इसे तोड़ देते है
मन की चंचलता से
दिल के आग्रह से
स्वार्थ है
तोड़ देते है
इसे बहने देते है
इसके साथ जीते है
इसे बढ़ने देते है
खुद के साथ जीना, जोड़ देते है ।
रिवाज
बादलो की गड़गड़ाहट से
बहती ठंडी हवा से
गर्मी की चाहत है
इसे तोड़ देते है
सूरज की गर्मी से
तपती धरा से
ठंड की चाहत है
इसे तोड़ देते है
उगते पौधे से
जीवन के चक्र से
बैर है
इसे तोड़ देते है
मन की चंचलता से
दिल के आग्रह से
स्वार्थ है
तोड़ देते है
इसे बहने देते है
इसके साथ जीते है
इसे बढ़ने देते है
खुद के साथ जीना, जोड़ देते है ।
Monday 14 January 2019
लम्हा
जहाँ से शुरूआत थी
वहीं अन्त
जो मुस्कान थी
वही शान
जो बदलाव था
या जो अहसास था
सफर भी
मंजिल भी
जो भाव थे
या विचार
ये पल थे
खुशी के आधार
ना भाषा का सहारा
ना तंत्र का साथ था
ना दिखाने का गुरुर था
ना देखने का पैमाना
अनजान था
और अनजान रहा
पर कुछ था
जो हमारे बीच रहा
लम्हा
जहाँ से शुरूआत थी
वहीं अन्त
जो मुस्कान थी
वही शान
जो बदलाव था
या जो अहसास था
सफर भी
मंजिल भी
जो भाव थे
या विचार
ये पल थे
खुशी के आधार
ना भाषा का सहारा
ना तंत्र का साथ था
ना दिखाने का गुरुर था
ना देखने का पैमाना
अनजान था
और अनजान रहा
पर कुछ था
जो हमारे बीच रहा