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Friday 26 October 2018

बदलाव

एक आकर्षण
या समर्पण
एक व्यथा
या सिर्फ एक कथा

एक मोहब्बत
या चाहत
एक अहसास
या बस एक आस

घमंड
स्थिरता पर
मापदंड
निरंतरता पर

दुरियाँ
या कहानियाँ
रिश्तो की
या बदलाव की ।

बदलाव

एक आकर्षण
या समर्पण
एक व्यथा
या सिर्फ एक कथा

एक मोहब्बत
या चाहत
एक अहसास
या बस एक आस

घमंड
स्थिरता पर
मापदंड
निरंतरता पर

दुरियाँ
या कहानियाँ
रिश्तो की
या बदलाव की ।

Thursday 18 October 2018

खुद

राम, मैं
रावण भी, मैं
कल्याण, मैं
अभिशाप भी, मैं

जहाँ ढुंढू खुद को
वहाँ पाऊँ भी, मैं
जो हूं नही
वो होऊँ भी, मैं

कभी मिलू
तो खो जाऊँ, मैं
कभी ढुंढू
तो मिलू भी, मैं

इस रक्त को
वक्त के लिए
सीचूं भी, मैं
तो कैसे पाऊँ 'खुद' को, मैं ।

खुद

राम, मैं
रावण भी, मैं
कल्याण, मैं
अभिशाप भी, मैं

जहाँ ढुंढू खुद को
वहाँ पाऊँ भी, मैं
जो हूं नही
वो होऊँ भी, मैं

कभी मिलू
तो खो जाऊँ, मैं
कभी ढुंढू
तो मिलू भी, मैं

इस रक्त को
वक्त के लिए
सीचूं भी, मैं
तो कैसे पाऊँ 'खुद' को, मैं ।

Friday 5 October 2018

मंजिल

मैं चलूँ अगर
सिर्फ तेरे लिए
तो भूलूं डगर
जो है, मेरे लिए

तुझे बनाया, मैंने
तुझे पाऊं, मैं
सब छोड़ा, मैंने
पर क्यों भूलूं खुद को, मैं

तू हिस्सा है मेरा
तू किस्सा है मेरा
तो नाम तेरा
क्यूं पाऊं मैं

वजह है
तेरा होना भी जरूरी है
पर तेरे लिए
खुद को, क्यों मिटाऊ मैं ।

मंजिल

मैं चलूँ अगर
सिर्फ तेरे लिए
तो भूलूं डगर
जो है, मेरे लिए

तुझे बनाया, मैंने
तुझे पाऊं, मैं
सब छोड़ा, मैंने
पर क्यों भूलूं खुद को, मैं

तू हिस्सा है मेरा
तू किस्सा है मेरा
तो नाम तेरा
क्यूं पाऊं मैं

वजह है
तेरा होना भी जरूरी है
पर तेरे लिए
खुद को, क्यों मिटाऊ मैं ।