एक आकर्षण
या समर्पण
एक व्यथा
या सिर्फ एक कथा
एक मोहब्बत
या चाहत
एक अहसास
या बस एक आस
घमंड
स्थिरता पर
मापदंड
निरंतरता पर
दुरियाँ
या कहानियाँ
रिश्तो की
या बदलाव की ।
एक आकर्षण
या समर्पण
एक व्यथा
या सिर्फ एक कथा
एक मोहब्बत
या चाहत
एक अहसास
या बस एक आस
घमंड
स्थिरता पर
मापदंड
निरंतरता पर
दुरियाँ
या कहानियाँ
रिश्तो की
या बदलाव की ।
एक आकर्षण
या समर्पण
एक व्यथा
या सिर्फ एक कथा
एक मोहब्बत
या चाहत
एक अहसास
या बस एक आस
घमंड
स्थिरता पर
मापदंड
निरंतरता पर
दुरियाँ
या कहानियाँ
रिश्तो की
या बदलाव की ।
राम, मैं
रावण भी, मैं
कल्याण, मैं
अभिशाप भी, मैं
जहाँ ढुंढू खुद को
वहाँ पाऊँ भी, मैं
जो हूं नही
वो होऊँ भी, मैं
कभी मिलू
तो खो जाऊँ, मैं
कभी ढुंढू
तो मिलू भी, मैं
इस रक्त को
वक्त के लिए
सीचूं भी, मैं
तो कैसे पाऊँ 'खुद' को, मैं ।
राम, मैं
रावण भी, मैं
कल्याण, मैं
अभिशाप भी, मैं
जहाँ ढुंढू खुद को
वहाँ पाऊँ भी, मैं
जो हूं नही
वो होऊँ भी, मैं
कभी मिलू
तो खो जाऊँ, मैं
कभी ढुंढू
तो मिलू भी, मैं
इस रक्त को
वक्त के लिए
सीचूं भी, मैं
तो कैसे पाऊँ 'खुद' को, मैं ।
मैं चलूँ अगर
सिर्फ तेरे लिए
तो भूलूं डगर
जो है, मेरे लिए
तुझे बनाया, मैंने
तुझे पाऊं, मैं
सब छोड़ा, मैंने
पर क्यों भूलूं खुद को, मैं
तू हिस्सा है मेरा
तू किस्सा है मेरा
तो नाम तेरा
क्यूं पाऊं मैं
वजह है
तेरा होना भी जरूरी है
पर तेरे लिए
खुद को, क्यों मिटाऊ मैं ।
मैं चलूँ अगर
सिर्फ तेरे लिए
तो भूलूं डगर
जो है, मेरे लिए
तुझे बनाया, मैंने
तुझे पाऊं, मैं
सब छोड़ा, मैंने
पर क्यों भूलूं खुद को, मैं
तू हिस्सा है मेरा
तू किस्सा है मेरा
तो नाम तेरा
क्यूं पाऊं मैं
वजह है
तेरा होना भी जरूरी है
पर तेरे लिए
खुद को, क्यों मिटाऊ मैं ।