My Blog List

Friday 11 November 2016

कल्पना

शुरुआत हैं
कुछ होने की
तरक्की हैं
मानव जाति की

परिपक्व होगी
जब कोशिश होगी
बीज अंकुरित होगा
जब कर्म सार्थक होगा

ये नाम नहीं पूछती
ये कौम नहीं पूछती
ये काम नहीं जानती
ये सिर्फ़ सोच जानती।

जैसी होगी
वैसा ही बना देगी
सब कुछ देगी
और भविष्य बना देगी ।

No comments:

Post a Comment