A view towards innocent life
शुरुआत हैंकुछ होने कीतरक्की हैं मानव जाति की
परिपक्व होगी जब कोशिश होगीबीज अंकुरित होगाजब कर्म सार्थक होगा
ये नाम नहीं पूछती ये कौम नहीं पूछतीये काम नहीं जानती ये सिर्फ़ सोच जानती।
जैसी होगीवैसा ही बना देगीसब कुछ देगीऔर भविष्य बना देगी ।
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