शुरुआत हैं
कुछ होने की
तरक्की हैं
मानव जाति की
परिपक्व होगी
जब कोशिश होगी
बीज अंकुरित होगा
जब कर्म सार्थक होगा
ये नाम नहीं पूछती
ये कौम नहीं पूछती
ये काम नहीं जानती
ये सिर्फ़ सोच जानती।
जैसी होगी
वैसा ही बना देगी
सब कुछ देगी
और भविष्य बना देगी ।
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