क्यों ना
फिर गुनगुनाते हैं
क्यों ना
फिर , खुद को भुलाते हैं
क्यों ना
फिर से यादों को सजाते हैं
क्यों ना
फिर , एक हो जाते हैं
इस बार
सब भूल जाएँगे
इस बार
खुद को नही ढूँढ़गें
इस बार
हम समझेंगे नहीं
इस बार
खुद को तुम में ढाल लेंगे
इस बार
मैं , मैं नहीं
क्यों ना
फिर गले लगते हैं ।
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