A view towards innocent life
कुछ हैं , होने को हाँ तभी तो है 'आशा ' कुछ करने को
ज़िंदगी की रफ्तार में हैवानियत की साज़ मेंजिसे गाए जा रहा वो अपनी ही आवाज़ में है लिखता गीत वो अपने ही अंदाज़ मेंसब भूल बैठा वो अपने ही स्वार्थ में
हाँ तभी तो है , यहाँ कुछ होने को ।
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