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Tuesday 7 March 2017

आत्मलिंगन

साथ तेरा था
तभी तो सपना मेरा था
उसे पूरा होना था
यही तो विचार हमारा था

कुछ बंदिशे थी
तो कही कौशिश अधूरी थी
मेहनत थी
कि दिलासा दिला रही थी

लगता था
आज मेरा था
पर दिन ढ़ल चुका था
यही सच था

बाकी बची हमारी सोच थी
यही अहसास करा रही थी
कि कुछ मुश्किलें थी
जो आड़े आ रही थी

सच था
जो हमारे सामने था
यही सच्चाई थी
क्योकि अब जीत की बारी थी ।

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